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बीकानेर: धुलंडी के दिन निभाई गई तणी तोड़ने की परंपरा

बीकानेर।छारंडी के दिन बीकानेर के नत्थूसर गेट पर तणी तोड़ने की की परंपरा का निर्वहन किया गया‌। बीकानेर के पुष्करणा समाज के सूर दासाणी पुरोहित समाज की ओर से तणी बांधी जाती है। तणी तोड़ने ने की यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसको लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।लेकिन साल दर साल पुष्करणा समाज की सभी जातियों द्वारा इस परंपरा को निभाया जाता है। पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों की होली पर गेवर परंपरा के साथ ही यह आयोजित होता है।इस तणी को जोशी जाति के पुरुष की ओर से तणी को तोडा जाता है।तणी तोड़ने के दौरान वहां मौजूद लोग हवा में गुलाल उड़ालकर तणी काटने वाले युवक का ध्यान भटकाने की भी कोशिश करते हैं।तणी को तैयार करने में सात आठ किलो मूंझ का उपयोग होता है।मूंझ को बटते हुए 20 फीट लंबाई में तणी तैयार की जाती है। कई घंटों तक पानी में भिगोकर तैयार होने वाली तणी को दो सिरो पर बांधा जाता है।पुष्करणा समाज के जोशी जाति का युवक इस तणी को काटता है।किराडू जाति के पुरुषों के कंधों पर खड़े होकर युवक तणी काटते हैं।इस दौरान सूरदासाणी, किराडू, जोशी,ओझा, छंगाणी, सहित समाज की जाति गेवर पहुंचने के बाद तणी तोड़ने की परंपरा की शुरुआत होती है।

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