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बीकानेर: 151 वेदपाठियों का महायज्ञ,गोचर भूमि बचाने कलेक्ट्रेट परिसर में गूंजे मंत्र

बीकानेर: 151 वेदपाठियों का महायज्ञ,गोचर भूमि बचाने कलेक्ट्रेट परिसर में गूंजे मंत्र

बीकानेर।बीकानेर विकास प्राधिकरण द्वारा जिले के 188 गांवों की गोचर भूमि के भू-उपयोग बदले जाने के विरोध में मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट के सामने एक अनोखा व धार्मिक रंग में रंगा आंदोलन देखने को मिला।गोचर बचाओ आंदोलन समिति के नेतृत्व में संत समाज, गौ-प्रेमी और बड़ी संख्या में वेदपाठी ब्राह्मण एकत्र हुए और करीब सात घंटे तक रुद्राभिषेक व गोपाल गौ महायज्ञ किया।पूरे कलेक्ट्रेट परिसर में 151 वेदपाठी ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार गूंजते रहे। इस विरोध की खास बात रही कि महिलाओं की बड़ी भागीदारी नजर आई, जो सामान्य आंदोलनों में कम देखने को मिलती है।पूर्व मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि हजारों आपत्तियों के बावजूद प्रशासन उदासीन है। उन्होंने बताया कि दान दी हुई भूमि पर अधिग्रहण किसी भी हाल में उचित नहीं। गाय की भूमि का दूसरा उपयोग संभव ही नहीं।धरने का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय संत सरजू दास महाराज ने सरकार को कड़ी चेतावनी दी है यह आस्था का मुद्दा है। जिस पार्टी ने गाय के नाम पर वोट मांगे, वही आज गाय की भूमि पर कब्जा कर रही है। जरूरत पड़ी तो आत्मदाह भी करेंगे, पीछे नहीं हटेंगे।

आंदोलन से जुड़े सूरज प्रकाश राव ने बताया कि नए मास्टर प्लान में बीकानेर की 188 गांवों की सारी गोचर भूमि को आवासीय व सार्वजनिक उपयोग में दर्शा दिया गया है।उन्होंने याद दिलाया कि शरह नथानिया गोचर को 1676 में महाराजा करण सिंह और 1909 में महाराजा गंगा सिंह ने गौवंश के संरक्षण हेतु विशेष रूप से सुरक्षित किया था।साथ ही राजस्थान लैंड रेवेन्यू एक्ट, 1956 और राजस्थान टेनेंसी एक्ट, 1955 के अनुसार गोचर भूमि का उपयोग सीमित व संरक्षित है।वेदमंत्रों के बीच उठी आवाज़ें अब सरकार तक कितनी पहुंचती हैं, यह देखना बाकी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि गोचर भूमि को बचाने के लिए बीकानेर का संत समाज अब आर-पार के मूड में है।

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