

बीकानेर। शुक्रवार सुबह पीबीएम अस्पताल से संबद्ध ईएनटी और चर्म रोग विभाग में अचानक धुआं उठता देख अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल में आग लगने और कई लोगों के फंसे होने की खबर फैलते ही दमकल, पुलिस, प्रशासन और एसडीआरएफ की टीमें तुरंत हरकत में आ गईं। कुछ ही देर में पूरे अस्पताल परिसर में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया।हालांकि बाद में पता चला कि यह मॉक ड्रिल थी दरअसल जयपुर के एसएमएस अस्पताल में हाल ही में हुए अग्निकांड के बाद बीकानेर प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए यह अभ्यास करवाया था।मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुरेंद्र वर्मा भी पहुंचे और पूरी कार्रवाई की निगरानी की। ड्रिल के दौरान एक वार्ड में फंसे 6 से 7 लोगों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया। सिविल डिफेंस,जिला प्रशासन की टीमों ने उन्हें स्ट्रेचर के सहारे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इस दौरान सिविल डिफेंस, पुलिस, जिला प्रशासन के अधिकारियों ने अपनी तत्परता का शानदार प्रदर्शन किया।मगर मॉक ड्रिल ने अग्निशमन विभाग की खामियों को भी उजागर कर दिया। जैसे ही दमकल से पानी की सप्लाई शुरू होते ही कई जगहों से पाइप फटे पाएं गए,जिससे पानी व्यर्थ बहता रहा और आग बुझाने के लिए दबाव नहीं बन पाया और दमकल से पानी की मोटी धारें बेकाबू बहने लगीं। सवाल उठता है कि मॉक ड्रिल के दौरान ही आग बुझाने के उपकरण जवाब दे जाए तो असल हादसा होने पर क्या हालात होंगे। समय रहते उपकरणों और संसाधनों की दुरुस्ती ही भविष्य की किसी बड़ी दुर्घटना से सुरक्षा की गारंटी दे सकती है।