

बीकानेर। रोशनी और खुशियों का त्योहार दीपावली इस बार भी अपने साथ जुए का अंधेरा लेकर आई है। एक ओर शहर दीयों से जगमगा रहा है, वहीं दूसरी ओर गलियों और चौकों में दो पासों की खनक और ताश के पत्तों की सरसराहट गूंज रही है। देर रात तक चली आतिशबाजी के बीच मोहता चौक, हर्षों का चौक, बिस्सों का चौक और गोपीनाथ भवन के पास घोड़ी, फरी-माताजी और अंदर-बाहर जैसे पारंपरिक खेलों में लाखों रुपये के दांव लगाए जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, दीपावली से कुछ दिन पहले ही इन इलाकों में जुए के अड्डे सज गए थे। रात ढलते ही यहां युवाओं के साथ बाहरी लोग भी पहुंच रहे हैं। कई जगहों पर तो जुए की महफिलें इतनी बड़ी हो गईं कि मोहता चौक से सब्जी बाजार की ओर जाने वाला रास्ता तक कई बार अवरुद्ध हुआ।
शहर में यह जुए का खेल अब सिर्फ गलियों या घरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कुछ होटलों में भी खुलेआम दांव लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों को इन अड्डों की जानकारी है, पर पुलिस प्रशासन खामोश है। पिछले तीन दिनों में किसी भी बड़ी कार्रवाई की खबर नहीं आई है, जिससे जुआरियों के हौसले बुलंद हैं।
दीपावली की आड़ में फलता-फूलता यह अवैध कारोबार कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। खासकर युवा वर्ग तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहा है। रातों-रात अमीर बनने की चाह में कई युवक अपनी मेहनत की कमाई दांव पर लगा रहे हैं और अंत में खाली हाथ रह जाते हैं।
अगर इस पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया, तो दीपावली की यह रोशनी कई युवाओं की जिंदगी में अंधेरा बनकर उतर सकती है। शहर की गलियों में खुलेआम चल रहा यह जुआ अब बीकानेर पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।