बीकानेर।गोपेश्वर बस्ती की तंग गलियों में आज कुछ अलग ही रौनक थी। वजह सिर्फ एक बेटी की खुशी में समाज का एक ऐसा वर्ग शामिल हुआ, जिसे अक्सर लोग हाशिये पर खड़ा कर देते हैं। लेकिन आज वही वर्ग इंसानियत का सबसे उजला चेहरा बनकर सामने आया।प्रिया की आज शादी है। उसके पिता, भाई और ननिहाल पक्ष में कोई नहीं है। ऐसे में मायरा कौन भरेगा, यह चिंता उसकी मां गीता देवी की रातों की नींद उड़ाए हुए थी। समाज के कई दरवाजे खटखटाने के बावजूद कोई मदद सामने नहीं आई।लेकिन कहते हैं मदद वहीं से मिलती है, जहां से उम्मीद न हो।और हुआ भी यही ।
जब किन्नर मुस्कान बाई को इस परिवार की स्थिति का पता चला, उन्होंने बिना एक पल गंवाए कहा
बेटी की शादी है मायरा तो हम ही भरेंगे। यह सिर्फ एक वादा नहीं, बल्कि भावनाओं का सबसे सुंदर स्पर्श था।शादी वाले घर में आज सुबह किन्नर मुस्कान बाई अपने पूरे समूह के साथ ढोलक की थाप और मंगलगीतों के बीच पहुंचीं। हाथों में कपड़े, गहने और नगदी और चेहरे पर वही अपनापन, जो मायरा लेकर आने वाले रिश्तेदारों में होता है।जिस घर में मायरे की चिंता थी, आज उसी घर में उत्साह और आशीर्वाद की बरसात थी।लोग दूर-दूर से इस अनोखे मायरे को देखने पहुंचे। कई की आंखें नम थीं।गीता देवी ने भर्राई आवाज़ में कहाभगवान ने हमारे घर रिश्ते भेज दिए ये लोग सिर्फ किन्नर नहीं, हमारे लिए फरिश्ते हैं।किन्नर समाज की इस पहल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि रिश्ते हमारी सोच से नहीं, हमारे कर्मों और दिल की सच्चाई से बनते हैं।आज प्रिया की शादी का मायरा सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि इंसानियत की एक मिसाल बन गया।
मायरे के मंगल गीतों की गूंज आने वाले सालों तक इस बस्ती में सुनाई देती रहेगी।